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शुक्रवार, १४ एप्रिल, २०१७

*मै तो कुछ भी नही*!

*मै तो कुछ भी नही*!

(१) मेरी रजोगुणी अहंकारी प्रवृत्ती भगवान की महानता के सामने हमेशा झुकी रहे.

(२) मेरी तमोगुणी तामसी प्रवृत्ती भगवान की रौद्रता के सामने हमेशा डरी रहे.

(३) मेरी मूल सत्वगुणी प्रवृत्ती हमेशा जागृत रहे और सारे सृष्टी मे प्यार बढाती रहे.

(४) प्यार को कोई सत्वगुणी मूर्खता ना बनाये और कोई रजोगुणी या तमोगुणी मूर्खता ना समझे. प्यार संजीवनी है. प्यार ही भगवान का मूलाधार है और वही जीवन का प्रमुख आधार है.

(५) सारे सृष्टी, विश्व का निर्माता और नियंता निसर्ग यही मेरा भगवान है. वही मेरे लिये सब कुछ है. वह मुझमे समा जाये और मै उसमे समा जाऊँ, यही मेरी अभिलाषा है. मै तो कुछ भी नही! *बलीराम*

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