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बुधवार, २२ जुलै, २०२०

वो देखो जला घर किसी का!

वो देखो जला घर किसी का!

कोरोनामुळे मृत्यू झाल्याने एखाद्या घरावर जेंव्हा आकाश कोसळते तेंव्हा अनपढ या जुन्या हिंदी चित्रपटातील "वो देखो जला घर किसी का" हे दुःखद गीत आपोआप ओठांवर येते. त्या घराचे ते जळणे आपल्यापासून आता दूर नाही याची जाणीव होते.

-ॲड.बी.एस.मोरे©२२.७.२०२०

वो देखो जला घर किसी का!

वो देखो जला घर किसी का
ये टूटे हैं किसके सितारे
वो क़िस्मत हँसी और ऐसे हँसी
के रोने लगे ग़म के मारे
वो देखो जला घर किसी का...

गया जैसे झोंका हवा का
हमारी ख़ुशी का ज़माना
दिए हमको क़िस्मत ने आँसू
जब आया हमें मुस्कराना
बिना हमसफ़र है सूनी डगर
किधर जाएँ हम बेसहारे
वो देखो जला घर किसी का...

हैं राहें कठिन दूर मंज़िल
ये छाया है कैसा अँधेरा
कि अब चाँद-सूरज भी मिलकर
नहीं कर सकेगा सवेरा
घटा छाएगी बहार आएगी
ना आएँगे वो दिन हमारे
वो देखो जला घर किसी का...

इधर रो रही हैं आँखें
उधर आसमाँ रो रहा है
मुझे कर के बरबाद ज़ालिम
पशेमान अब हो रहा है
ये बरखा कभी तो रुक जाएगी
रुकेंगे ना आँसू हमारे
वो देखो जला घर किसी का...

वो देखो जला घर किसी का
ये टूटे हैं किसके सितारे
वो किस्मत हँसी और ऐसी हँसी
के रोने लगे गम के मारे
वो देखो जला घर किसी का.



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